1. सार्जेंट भूतनाथ
आर्टवर्क 4/5
फॉरमेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : 48
प्रकाशक : राज कॉमिक्स
आईएसबीएन:9789332410473
सार्जेंट भूतनाथ एक ईमानदार अफसर की कहानी है। कई बार जब हम पुलिस से मुखातिब होते हैं तो हमे एक भ्रष्ट इन्सान ही दिखता है। लेकिन असल में ऐसा नहीं है। हो सकता है कई पुलिस वाले भ्रष्ट हो लेकिन कभी सोचा है वो ऐसा क्यों बने। कई बार जब एक ईमानदार पुलिसवाला अपना काम कर रहा होता है तो सिस्टम ही उसे नहीं करने देता और फिर उसे खुद पता नहीं लगता कि कितने सालों में वो इस सिस्टम का पुर्जा बन गया है।
यही चीज इस कॉमिक में भी दर्शायी गई है। सार्जेंट अमरनाथ केवल ईमानदारी से अपना काम करना चाहता था लेकिन उसे करने नहीं दिया जाता है। आगे क्या हुआ इस कॉमिक की कहानी है।
कॉमिक की कहानी की बात करूँ तो कहानी मुझे साधारण लगी। हमने कई बार ऐसी कहानी पढ़ी होगी। ईमानदार अफसर जिसे मुश्किलातों का सामना करना पड़ा। कई फिल्में इसके ऊपर बनी हैं। लेकिन इसका नया पन आत्मा वाला कोण था। उधर रोमांच होना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं है। इसका कारण ये था कि कहानी में भूतनाथ सब पर भारी पड़ता है। थोड़ा बहुत संघर्ष है लेकिन वो भूतनाथ को नहीं करना पड़ता। अगर भूतनाथ के सामने कोई ऐसा प्रतिद्वंदी आता जिससे लड़ने में उसे थोड़ी मेहनत मशक्कत करनी पड़ती तो कॉमिक का रोमांच बढ़ जाता। अभी तो सबको वो गाजर मूली की तरह काटता रहता है जिसे पढ़ने में मजा नहीं आता है।
हाँ, कॉमिक के आर्टवर्क की तारीफ़ बनती है। जब हम आर्टवर्क की बात करते हैं तो ज्यादातर हमारे मष्तिष्क में पेंसिलर का कार्य ही उभरता है। वो काम इधर भी निसंदेह अच्छा है लेकिन आर्टवर्क पर चार चाँद इस बार कलरिस्ट सुनील पाण्डेय ने लगाये हैं। जिस तरह का कलर स्कीम इस कॉमिक में इस्तेमाल की गई है वो इस चित्रकथा को एक अलौकिक(सुपरनेचुरल) फील देती है। ऐसा लगता है हम आत्मा की दृष्टि से दुनिया को देख रहे हैं। ये एक अलग तरीके का अनुभव था मेरे लिए। चूँकि ये एक हॉरर कहानी तो इस कारण कहानी पढने का मजा बढ़ जाता है। मुझे आर्टवर्क काफी पसन्द आया। इसके इलावा कॉमिक के पृष्ठ भी उत्तम गुणवत्ता के हैं।
आखिर में यही कहूँगा कि कहानी में थोड़ा अच्छा खलनायक होता तो कहानी तगड़ी बन सकती थी लेकिन फिर भी एक बार पढ़ी जा सकती है।
2.ये सिर किसका है
सिर कोई ले तो जाता है लेकिन उसका उतना प्रभाव नहीं बन पाता है। मुझे लगता है कि आवरण और पहले पृष्ठ के कारण मेरे मन में कथानक को लेकर कुछ और अपेक्षा थी और चूँकि वो पूरी नहीं हुई तो इस कारण में मुझे कहानी पढ़कर उतनी संतुष्टि नहीं मिली। अगर अपेक्षा के बिना पढता तो कथानक ज्यादा एन्जॉय कर पाता।
वैसे कथानक ठीक ठाक है। आत्मा जो करती है वो क्यों करती है ये मैं समझ सकता हूँ। उसकी हरकतें किरदारों के लिए तो भयावह थी। लेकिन इससे पाठक के रूप में मेरा रोमांच कम हुआ। अगर मैं किरदारों की जगह होता तो किस मानसिक पीड़ा से गुजरता वो मैं समझ सकता हूँ लेकिन पाठक के तौर पर जिस रोमांच की तलाश मुझे थी वो मुझे इतनी नहीं मिली। अगर आत्मा गुनाहगारों को सजा थोड़े और रोचक ढंग से दे पाती तो मजा आता।
कहानी में कई लॉजिकल दिक्कत तो हैं ही। उदारहण के लिए दुर्घटना वश हुई मृत्यु में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे फाँसी नहीं होती। यहाँ लेखिका ने लिबर्टी ली है और उस किरदार को फाँसी चढवा दिया। अगर कहानी में थोड़ा और काम होता तो बेहतर बन सकती थी। और लिबर्टी लेनी की जरूरत भी नहीं पड़ती। हो सकता है मैं नुक्ताचीनी कर रहा हूँ लेकिन अगर इन बिन्दुओं पर काम होता तो मुझे लगता है कथानक और बेहतर ही बनता।
कॉमिक में एक सीन में है जिसमे आत्मा को झाड़ियों में अपना सिर खोजते हुए दिखाया गया है। वो मुझे काफी डरावना लगा। ऐसा इसलिए भी क्योंकि मेरे घर पौड़ी में जाते हुए रास्ते में काफी झाड़ियाँ पड़ती है तो मैं ये सोच रहा था कि अगर रात को मुझे ऐसा कोई दिख जाये तो मेरा क्या होगा? सोचकर ही डर लगता है। आपका क्या ख्याल है? कहीं जाते वक्त झाड़ी दिखे तो एक बार कल्पना करके देखिएगा।
कॉमिक का आर्ट वर्क ठीक ठाक है। कॉमिक पुराना है तो आर्टवर्क उसी हिसाब से बना है। हाँ चूँकि मैंने इसे सार्जेंट भूतनाथ इसे पढने से पहले पढ़ा था तो मुझे इसकी गुणवत्ता काफी कम लगी। क्योंकि दोनों एक के बाद एक पढ़े थे तो आर्टवर्क के मामले में तो तुलना होनी ही थी। पृष्ठों की गुणवत्ता में भी ये कॉमिक मात खाता है।
बहरहाल कॉमिक ठीक ठाक है और ज्यादा सोच विचार न करें तो एक बार पढ़ी जा सकती है।
अगर आपने इन कॉमिक्स को पढ़ा है तो आपको ये कैसी लगी? आपके इनके प्रति कैसे विचार थे? अपने विचारों से मुझे कमेंट बॉक्स में कमेट करके अवगत करवा सकते हैं। अगर आपने इन्हें नहीं पढ़ा है तो राज कॉमिक की साईट से इन्हें मँगवा सकते हैं:
Nice review
शुक्रिया….