लल्लू – वेद प्रकाश शर्मा

रेटिंग : 3.5/5
उपन्यास नवम्बर 24 ,2016 से नवम्बर 26, 2016 के बीच पढ़ा गया

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : 288
प्रकाशक : राजा पॉकेट बुक्स

पहला वाक्य :
साक्षात यमराज बना एक ट्रक आँधी-तूफ़ान की तरह सड़क रौंदता चला आ रहा था। 

मिस्टर खन्ना राज नगर के एक जाने माने बिल्डर थे।  एक दिन मोर्निंग वाक करते हुए जब ट्रक उन्हें कुचलने वाला था तो उस गाँव के लड़के ने उनकी जान अपनी जान पर खेलकर बचाई थी।  लड़के का नाम विनाश था। मिस्टर खन्ना उसके आभारी थे। लेकिन उनकी शहर में पढ़ी लिखी और लाड़ में पली बेटी सुनीता को गाँव का भोला भाला विनाश एक लल्लू सा लगता था।

फिर ऐसे हालात बने की इसी लल्लू  से उसे न चाहते हुए भी शादी करनी पड़ी। और फिर हुआ क़त्ल। लेकिन कत्ल के बाद ये लल्लू वापस आ गया था। और अब उसे अपनी मौत का बदला चाहिए था।

आखिर सुनीता, जिसका बॉय फ्रेंड था, ने लल्लू से शादी क्यों की? लल्लू का क़त्ल क्यों हुआ? आखिर मरने के बाद लल्लू वापस कैसे आ गया ? क्या ये लल्लू वाकई लल्लू था या दुनिया को लल्लू बना रहा था?

उपन्यास पढ़ते हुए आपके मन में काफी सवाल आयेंगे और उनके जवाब खाली उपन्यास में ही मिलेंगे। तो देर किस बात की हैं। जाईए पढ़िए ये उपन्यास।

हिंदी पल्प फिक्शन में जो दिग्गज लेखक आजकल लिख रहे हैं उनमे  वेद प्रकाश शर्मा जी का नाम भी शुमार हैं। मैंने उनके ज्यादा उपन्यास नहीं पढ़े हैं। लल्लू से पहले मैंने उनके दो उपन्यास पढ़े थे और ये पाया था कि वो उपन्यास मेरे लिए नहीं थे। इसलिए तकरीबन एक साल पहले खरीदा गया यह उपन्यास मेरे संग्रह में बिना पढ़े ही रखा हुआ था।  मैं इसको पढने से कतराता था।  लेकिन जब मैंने इसे पढ़ा तो ये मेरे लिए एक सुखद आश्चर्य साबित हुआ क्योंकि  उपन्यास मुझे बहुत पसंद आया।

इस बात ने मुझे एक सीख भी दी है कि जहाँ तक हो सके हैं हमे पूर्वाग्रहों से बचना चाहिए। फिर चाहे वो हमारे अनुभव के आधार पे क्यों न बने हों।

लल्लू एक बेहतरीन थ्रिलर है जिसने मेरा भरपूर मनोरंजन किया। कथानक तेज रफ़्तार है और कहानी में इतने मोड़ हैं कि मैं जब सोचता था कि मोड़ ख़त्म हो गया और अब इससे ज्यादा  क्या होगा तो कहानी एक अलग मोड़ ले लेती थी। सच बताऊँ तो मुझे उम्मीद नहीं थी कि ये उपन्यास मुझे इतना पसंद आएगा।

अगर किरदारों की बात करूँ तो उपन्यास के किरदार यथार्थ के काफी नज़दीक हैं। इनमे फंतासी वाली कोई बात नहीं दिखाई देती है और इसलिए भी उपन्यास यह उपन्यास पढना मुझे अच्छा लग रहा था। अलबत्ता, ये बात सोचने की है कि उपन्यास के एक किरदार, जो कि इंस्पेक्टर है, का नाम केकड़ा क्या सोच कर वेद जी ने रखा था। मेरे तो समझ में नहीं आया। आपकी आया हो तो बता दीजियेगा। दूसरा आखिरी में वेद जी ने अपना फेस मास्क वाला मामला लगाया है लेकिन कहानी के पहले ट्विस्ट इतने बढ़िया थे कि इसको मैंने हजम कर लिया।(मिशन इम्पॉसिबल में भी फेस मास्क इस्तेमाल होता है न, उधर कर लिया था तो इधर करने में क्या हर्ज था।)

अगर आपने इस उपन्यास को नहीं पढ़ा है तो आपको इसे जरूर पढना चाहिए। मुझे तो ये पसंद आया और इसने मुझे प्रेरित किया है कि उनके दूसरे उपन्यासों को भी मैं पढूँ।  अगर आप बॉलीवुड की फिल्मों के फेन हैं तो आपको जानकर ख़ुशी होगी कि इस उपन्यास के ऊपर अक्षय कुमार की फिल्म ‘सबसे बड़ा खिलाड़ी’ बनी थी। मुझे उपन्यास फिल्म से ज्यादा अच्छा लगा था क्योंकि  इसमें उससे ज्यादा ट्विस्ट हैं।

अगर आपने इस उपन्यास को पढ़ा है तो आपको ये कैसा लगा? इस विषय में जरूर बताईयेगा। अगर उपन्यास नहीं पढ़ा है तो इसे राज कॉमिक्स की साईट से मंगवाकर पढ़ सकते हैं। उपन्यास डेली हंट एप्प में भी है तो उधर से खरीदकर भी इसे पढ़ा जा सकता है।

अगर आप वेद जी के ऐसे और उपन्यासों को जानते हैं तो उनके विषय में जरूर बतईयेगा। मैं पढने की कोशिश करूँगा।


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

7 Comments on “लल्लू – वेद प्रकाश शर्मा”

  1. लल्लू वेदप्रकाश शर्मा जी का अच्छा उपन्यास है।
    आप उनका उपन्यास "वो साला खद्दर वाला" भी पढ लीजिएगा।

    1. उपन्यास अगर मिलता है तो जरूर पढ़ूँगा। अभी तो मेरे पास वेद जी का होनर किलिंग और केशव पंडित के शुरूआती दो उपन्यास हैं। उन्हें पढ़ना है।

  2. जी, जरूर पढूँगा। कल ही 'दुल्हन माँगे दहेज' पढ़ा। शीघ्र ही उसके विषय में लिखूँगा।

    1. वाह!!मैं भी जल्द ही पढ़ने की सोच रहा हूँ। बताइयेगा कैसी लगी?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *