आज का उद्धरण

जिसने मसिहाई का दम भरा उसी की दुर्गत हुई। इस दौर में कोई आराम से रहा है तो सिर्फ चमचे आराम से रहे। रकाबियाँ बदल गईं, फूट गईं, टुकड़े-टुकड़े हो …

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