ईमानदारी और बेईमानी में चार अंगुल का भी फर्क नहीं है। यह सवाल चित और पट का है। एक ही स्थिति के ये दो पहलू हैं , अब यह आप पर है कि आप किस पहलू से देखते हैं। राजनीति यही है। और राजनीति की सफलता भी यही है कि आपका पहलू ईमानदारी से भरा और सही माना जाये।
किताब लिंक: किंडल
'काली आंधी' कमलेश्वर जी का चर्चित उपन्यास है। और जो बात उन्होंने कही है, वह चुनावी राजनीति ही नहीं, सत्ता और प्रभाव से युक्त किसी भी क्षेत्र की राजनीति पर लागू होती है। इस सूक्ष्म किन्तु महत्वपूर्ण विचार को साझा करने हेतु आपका आभार विकास जी।
जी आभार सर….