मगर जैसे मैंने कहा, कुछ लोगों की मजबूरी है- गांधीजी का विरोध करना। ये कौन लोग हैं? वे लोग, जो मनुष्य की बराबरी में विश्वास नहीं करते? नस्ल, जाति, रंग, वर्ण, धर्म के कारण अपने को दूसरों से श्रेष्ठ मानते हैं। दूसरे समूहों से घृणा करते हैं। इनका जीवन मूल्य प्रेम नहीं, घृणा होता है। ये हिंसा से अपने उद्देश्य की पूर्ती करना चाहते हैं। इन लोगों के लिए जरूरी है गांधीजी को बार बार मारना। मगर ये डरते हैं लोगों से, क्योंकि आम आदमी घृणा और हिंसा के विरोधी होते हैं।
– हरिशंकर परसाई, महात्मा गांधी से कौन डरता है?
लेख हरिशंकर परसाई की किताबा आवारा भीड़ के खतरे में संकलित है। संकलन के विषय में मेरे विस्तृत विचार आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
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