यही विडम्बना है वर्तमान वक्त की। हम जिस उद्देश्य की प्राप्ति के सारे प्रयास कर रहे होते हैं, कहीं न कहीं वही खोता जा रहा है। मानो फलक की तलाश में तेजी से, और तेजी से दौड़ा जा रहा है व्यक्ति, पर फलक भला कभी किसी की पकड़ में आया है।….इस दौड़ में पहले व्यक्ति थकता है, फिर लड़खड़ाता है, और अंत में गिर जाता है पर दूरी कम नहीं होती है। महत्वाकांक्षाएँ बढ़ती जाती हैं, जरूरतें बढ़ती जाती हैं।
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About विकास नैनवाल 'अंजान'
विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर उन्हें लिखना पसंद है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।
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