आज का उद्धरण

अल्पना मिश्रा | कोट्स | हिन्दी कोट्स

जीवन टुकड़ों में बिखरा था। कतरनों को सी-सीकर एक समूची कथरी सिलने जैसा उपक्रम था। सोचती थी कि जीवन को समझने के लिये लोगों की कहानी जान लूँगी, जितना जानती जाऊँगी, उतना समझती जाऊँगी, पर ज्यादातर जीवन कहानियों के बाहर फैला था। चिंदी चिंदी में बिखरा… चिंदी चिंदी में सजा-सँवरा…तमाम-तमाम रंगों में डूबा।

अल्पना मिश्रा, अन्हियारे तलछट में चमका

किताब लिंक: पेपरबैक | हार्डबैक 


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर उन्हें लिखना पसंद है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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2 Comments on “आज का उद्धरण”

  1. सत्यता से ओतप्रोत।

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