|
बुक हॉल: जुलाई और अगस्त 2020 #1 |
अगस्त का महीना खत्म हो चुका है और सितम्बर शुरू हो गया है। इस महीने से मैंने बुक हॉल पोस्ट्स लिखने का फैसला किया है। महीने की ‘बुक हॉल’ पोस्ट्स के अंतर्गत ब्लॉगर्स या रीडर्स अपनी उन किताबों के विषय में लिखते हैं जो उन्होंने उक्त महीने में ली है। उदाहरण के लिए जैसे यह मेरे जुलाई और अगस्त का बुक हॉल पोस्ट है तो इस पोस्ट में मैं उन किताबों के विषय में लिखूँगा जो मैंने इस दो महीनों में खरीदी।
किताबें पढ़ने के अलावा जो काम मुझे सबसे ज्यादा पसंद है वो है किताबें खरीदना। मार्च से जब से लॉकडाउन चल रहा था तब से मैंने कोई किताबें नहीं खरीदी थीं। कुछ पुराने आर्डर घर पर आ गये थे और कुछ वापिस हो गये थे। फिर मैं पौड़ी चला आया तो इधर किताबें न के बराबर ही खरीदीं। पर अब दोबारा से किताबें खरीदनी शुरू कर दी हैं।
जुलाई के महीने से ऑनलाइन स्टोर खुलने लगे थे और क्योंकि मैंने मार्च से किताबें नहीं मँगवाई थीं तो अब मैंने भी किताबें मंगवानी शुरू की थी। फिर अगस्त के महीने भी मैंने कुछ किताबें मँगवाई। लेकिन सितम्बर आते आते मैं यह भूल चुका हूँ कि कौन सी किताब जुलाई में मँगवाई और कौन सी अगस्त में इसीलिए दोनों महीनों की किताबों के विषय में एक साथ लिखना शुरू किया है। हाँ, चूँकि किताबों की संख्या ज्यादा है और मैं अगर हर किताब के विषय में दो दो पंक्ति भी लिखूँगा तो यह पोस्ट काफी बड़ी हो जाएगी इसलिए मैं इस पोस्ट को दो भाग में विभाजित कर दूँगा।
उम्मीद है यह कोशिश आपको पसंद आएगी। अगर किताब आपको पसंद आती है तो आपको इन्हें मँगवाने में आसानी हो इसीलिए मैंने किताब के लिंक्स भी विवरण के साथ दे दिए हैं।
तो चलिए देखते हैं कि इन दो महीनों में मेरे द्वारा कौन कौन सी किताबें खरीदी गयीं।
सबसे पहले जो किताबें मैंने मँगवाई वह सूरज पॉकेट बुक्स के नये सेट की आठ किताबें थीं।
|
सूरज पॉकेट बुक्स से खरीदी गयीं किताबें |
1. रोड ट्रिप – देवेन्द्र पाण्डेय
रोड ट्रिप देवेन्द्र पाण्डेय का तीसरा उपन्यास है। यह तीन ऐसे दोस्तों की कहानी है जो डिजिटल दुनिया में मिलते हैं और फिर जब असल में मिलते हैं तो सीधा एक यात्रा पर चल पड़ते हैं। उपन्यास मुंबई से शुरू होकर उत्तराखण्ड की पहाड़ियों तक जाता है जहाँ इन तीनों को अपने जीवन की उलझनों के जवाब मिल जाते हैं। ये दोस्त कौन थे? यह लोग कैसे मिले? क्यों ये लोग यात्रा पर निकले थे? इस यात्रा के दौरान इनके साथ क्या क्या हुआ? ये कुछ प्रश्न है जो मन में किताब का विवरण पढ़कर उठते हैं।
उपन्यास की कहानी मुझे रुचिकर लगी थी तो मैंने इस उपन्यास को मँगवा दिया। क्योंकि
मुझे खुद यात्राएँ करना पसंद हैं तो यात्रा पर आधारित उपन्यास पढ़ना भी मुझे रुचिकर लगता है। देखना है कि यह उपन्यास मुझे भाता है या नहीं?
2.बाज़ – परशुराम शर्मा
परशुराम शर्मा के जितने उपन्यास सूरज पॉकेट बुक्स से आये हैं वो मैंने खरीदे हुए हैं। हाँ, ये अलग बात है कि पढ़ मैं कुछ ही पाया हूँ। चूँकि परशुराम शर्मा के लेखन में फंतासी और हॉरर के तत्व भी होते हैं तो उनका लेखन मुझे भाता है। बाज के विषय में पढ़कर भी मन में उपन्यास के लिए रूचि जागृत हुई थी।
किताब के बैककवर पर जो इस उपन्यास का विवरण दर्ज है उसके हिसाब से बाज विनाश नामक युवक का नाम है। विनाश जब मुहब्बत की जंग में हार जाता है तो वह कातिलों की रणभूमि में कूद पड़ता है। बाज मर्शियल आर्ट्स में माहिर है और उसे पहलवानी और योग में भी शिक्षित किया गया है। अब वह राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति समर्पित है।
यह सब पढ़कर बाज को जानने की इच्छा प्रबल हो जाती है। मुहब्बत की वह कौन सी जंग थी जो वो हार गया था? अपने कौशल का प्रयोग वह देश के लिए कैसे करेगा? वह कौन से दुश्मन हैं जिनसे वह टकरायेगा? ऐसे कई प्रश्न है जो मन में इस विवरण को पढ़कर उठते हैं और जिनका उत्तर मैं जरूर जानना चाहूँगा।
यहाँ ये बताना जरूरी है कि यह किताब पुनः प्रकाशन है। परन्तु क्योंकि मैंने परशुराम शर्मा के पुराने उपन्यास नहीं के बराबर पढ़े हैं तो यह मेरे लिए नया सरीखा ही रहेगा। उम्मीद है बाज से मिलना निराश नहीं करेगा।
3. अंतर्द्वन्द – शुभानन्द जावेद अमर जॉन #5
अंतर्द्वन्द
शुभानन्द द्वारा कृत
जावेद अमर जॉन श्रृंखला का पाँचवा उपन्यास है। जावेद अमर जॉन सीक्रेट एजेंट हैं और उन्हीं के मिशनों को लेकर इस श्रृंखला के उपन्यास रचे जाते हैं। इस श्रृंखला का एक उपन्यास मैं पढ़ चुका हूँ तो इसे पढ़ने की इच्छा थी। अब देखना है ये कैसा है?
उपन्यास का विवरण कुछ यूँ है:
एक टेररिस्ट प्लॉट के अंतर्गत देश न्यूक्लियर हमले से बच ज़रूर गया पर साजिश बेहद गहरी थी, प्लान बी तैयार था। छह साल पहले लापता हुए विमान की खोजबीन जावेद और जॉन को इस प्लान के खुलासे की तरफ अग्रसर करती है। दूसरी तरफ इंटरपोल ऑफिसर की हत्या के इल्ज़ाम से आहत सीक्रेट सर्विस एजेंट अमर अकेले ही निकल पड़ा उसे खोजने जो उसे इस बदनामी से निजात दिला सकता था।
सही और गलत के बीच निरंतर अंतर्द्वंद्व से जूझते जांबाज़ों की एक रोमांचकारी गाथा।
विवरण तो रूचि जगाता है। जल्द ही पढ़कर राय दूँगा।
4. आखिरी मिशन – शुभानन्द जावेद अमर जॉन#6
आखिरी मिशन
जावेद अमर जॉन श्रृंखला की छटी कृति है। चूँकि मैं अन्तर्द्वन्द मँगवा रहा था तो सोचा इसे भी ले लूँ। किताब का विवरण तो रोचक लग रहा है। आप भी देखिये:
बैककवर में उपन्यास का विवरण कुछ यूँ है:
साजिशों के मकड़जाल में गिरफ्त हिंदुस्तान जिसे युद्ध की आग से बचाने के लिये अब ज़रूरत थी उन जासूसों की जो अपनी जान की बाज़ी लगा इस जाल को तार-तार कर दें। क्या वे सफल हो पाएंगे ? या ये होगा उनका…
आखिरी मिशन
योरप से साउथ ईस्ट एशिया और हिन्द महासागर के गर्भ तक फैली रहस्य, रोमांच और एक्शन से भरपूर एक अनोखी दास्तान।
5.खाकी से गद्दारी – अनिल मोहन
अपराध साहित्य से जुड़ने के बाद
अनिल मोहन के काफी उपन्यास मैंने पढ़े हैं। उनकी
देवराज चौहान श्रृंखला के उपन्यास मुझे बहुत पसंद आते हैं। इस कारण जब पता लगा कि सूरज से
देवराज चौहान श्रिंखला का उपन्यास खाकी से गद्दारी पुनः प्रकाशित किया जा रहा है तो इसे खरीद लिया। उपन्यास के पहले पृष्ठ पर उपन्यास का संक्षिप्त विवरण उपन्यास के प्रति उत्सुकता जगाता है। आप भी पढ़िए:
खाकी पहनकर, इंस्पेक्टर सूरजभान यादव बनकर, देवराज चौहान जेल में बंद खतरनाक आंतकवादी जब्बर मलिक से मिलने जा पहुँचा था।
यह विवरण छोटा जरूर है लेकिन आपके मन में कई प्रश्न खड़े कर देता है। देवराज चौहान, जो अक्सर डकैती करता दिखता है, जेल में बहरूपिया बना क्या कर रहा था? देवराज को एक आतंकवादी से क्या काम था? क्या देवराज अपनी मर्जी से उधर मौजूद था या किसी के कहने पर गया था? जेल में पहुँचकर देवराज क्या करने वाला था?
ये कुछ सवाल है जो बरबस ही आपके मन में आ जाते हैं और आपको अहसास कराते हैं कि इनके जवाब आपको जिस कथानक से मिलेंगे वो रोमांच से भरपूर जरूर होगा।
6. हेरोइन – एस सी बेदी
राजन इकबाल से मेरी वाकिफियत काफी देर में हुई लेकिन जब हुई तो मैंने इन किरदारों को लेकर लिखे गई जितने उपलब्ध रचनाएँ थीं ले ली थीं। सबसे पहले मेरा वास्ता
राजन-इकबाल रिबोर्न सीरीज से पड़ा था लेकिन फिर इसके बाद
एस सी बेदी द्वारा लिखी गये कई रचनाओं को मैंने लिया और उन्हें पढ़ा।
एस सी बेदी द्वारा लिखे गये उपन्यास रोचक होते थे और देशभक्ति का जज्बा भी मन में जगाते थे।
जब इन कृतियों को मैं पढ़ता था तो उस वक्त यही सोचता था कि उनके उपन्यास बचपन से पढ़ने चाहिए थे। अक्टूबर 2019 में
एस सी बेदी हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कहकर चले गये।
हेरोइन उनकी आखिरी प्रकाशित कृति है। यह उपन्यास तो मुझे लेना ही था। यहाँ बस इतना कहूँगा कि एस सी बेदी हमेशा अपनी रचनाओं के माध्यम से पाठकों के दिल में जीवित रहेंगे।
7. किस्मत का खेल – अनुराग कुमार जीनियस
किस्मत का खेल
अनुराग कुमार जीनियस का दूसरा उपन्यास है। इससे पहले उनका उपन्यास एक्सीडेंट एक रहस्यकथा भी प्रकाशित हुआ था। यह उपन्यास भी एक रहस्यकथा लग रही है। उपन्यास के बैककवर पर दर्ज उपन्यास का संक्षिप्त विवरण भी कथानक के प्रति आपकी उत्सुकता जगाता है। आप भी देखिये:
निहाल चक्रवर्ती एक सफल युवा बिजनेसमैन था। वर्क इज वर्शिप उसकी जिंदगी का वो पैमाना था जिससे उसने अपनी अब तक की मुकम्मल जिंदगी को हमेशा मापा था। भगवान, किस्मत जैसी चीजों को वह वाहियात मानता था। एक दिन वह एक फकीर से जा टकराया जिसने उसके बारे में कुछ अजीबोगरीब भविष्यवाणियाँ की जिसे सुनकर निहाल ने ठहाका लगाया। पर बाद में उस फकीर की भविष्यवाणियाँ एक एक करके सच साबित होती गईं।
है न रोचक?
8. दौलत का खेल – जेम्स हेडली चेज
दौलत का खेल
जेम्स हेडली चेज के उपन्यास यू आर डेड विदआउट मनी का हिन्दी अनुवाद है। इस उपन्यास को
आलोक कुमार द्वारा हिन्दी में अनूदित किया गया है। जेम्स हेडली चेज के उपन्यास मुझे वैसे ही पसंद आते हैं तो उपन्यास के प्रति रूचि होना लाजमी है। उन्हें हिन्दी में पढ़ने का भी अपना ही मजा है। उपन्यास का विवरण कुछ यूँ है:
जोई लक और उसकी बेटी सिंडी की ज़िंदगी छोटे-मोटे अपराधों के सहारे कट रही थी । मयामी से भागे पेशेवर मुजरिम विन पिन्ना के साथ जुड़ने से उनके हौसले बढ़े और उन्होंने चर्चित अभिनेता डॉन एलियट का अपहरण कर लिया । पर एलियट के पास उनके लिये दौलत का एक बड़ा खेल खेलने का ऑफर था ।
विवरण से उपन्यास एक अपराध कथा मालूम होती है। चूँकि चेज की कृति है तो रोमांच और थ्रिल तो होना ही है। बस अब पढ़ने भर की देर है।
तो यह थी कुछ किताबें जो जुलाई-अगस्त के महीने में मैंने मँगवाई। चूँकि अब यह पोस्ट काफी लम्बी हो गयी है तो बाकी बची किताबों के विषय में अगली पोस्ट में लिखूँगा।
आप इनमें से कौन सी किताबें पढ़ना चाहेंगे?
क्या आप इनमें से कोई किताब पढ़ चुके हैं? अगर हाँ, तो वह कौन सी हैं और आपको वह कैसी लगी?
आपने जुलाई और अगस्त में कौन कौन सी किताबें मँगवाई हैं?
आपकी टिप्पणियों का मुझे इन्तजार रहेगा।
जुलाई अगस्त बुक हॉल का दूसरा भाग आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
© विकास नैनवाल ‘अंजान’
Post Views: 13
विवरण पढ़ का सारी किताबे पढ़ने में रुचि जाग गई है। कुछ मेरे पास है, कुछ मंगवानी बाकी है। शेयर करने के लिए धन्यवाद।
जी आभार। पढ़कर अपनी राय जरूर दीजियेगा।
सब शानदार किताबें हैं. मेरा भी पढ़ना बहुत कम हो गया है. अब फिर से शुरू करना होगा.
जी आभार…. जल्द ही शुरू कीजिये… इन्तजार रहेगा….